द गर्ल इन रूम 105–१४
अध्याय 4
सात साल पहले
'डेट के लिए जंतर-मंतर के प्रोटेस्ट पर चलें तो कैसा रहेगा?" मैने कहा हम कनॉट प्लेस पर बाराखंबा मेट्रो स्टेशन से बाहर आए थे और पार्लियामेंट स्ट्रीट की ओर पैदल जा रहे थे। उसने अपने बाल ऊपर की और बांध रखे थे। उसके मुंह में हेयरपिन थी। उसने कहा, 'मेरा साथ देने के लिए शुक्रिया। यह मेरे लिए बहुत मायने रखता है।'
'लेकिन प्रोटेस्ट है किस बारे में? मैंने कहा। उसने मुझे फोन पर बताया था कि कश्मीर से जुड़े किसी ममले पर प्रोटेस्ट है। मैंने बहुत हिम्मत करके उसको फोन लगाया था और कहीं मिलने को कहा था। उसने मुझे छेड़ते हुए कहा था कि क्या यह एक डेट है। मैंने हां कह दिया था। मैंने कहा था कि वो जहां चाहे, में चलने के लिए तैयार हूं।
बेल, उसने प्रोटेस्ट में जाना पसंद किया। कश्मीर में भारतीय फौजें सिविलियंस पर अत्याचार कर रही हैं। हम उसका विरोध करने के लिए इकट्ठा मेरे आसपास मौजूद बहुत सारे लोगों की तरह मुझे भी कश्मीर समस्या के बारे में ज्यादा मालूम नहीं था।
हो रहे हैं।"
मुझे इतना मालूम था कि पाकिस्तान कश्मीर चाहता है और भारत कभी कश्मीर देगा नहीं। साथ ही यह कि
कश्मीर के कुछ लोग दोनों में से किसी के भी साथ नहीं रहना चाहते। लेकिन मेरे लिए यह सब कोई मायने नहीं रखता था। यह मेरे लिए क्लास बंक करने और जारा के साथ एक दिन बिताने का एक बहाना भर था। हम जंतर-मंतर पहुंचे। कोई पचास स्टूडेंट्स बाहर बैठे थे। सभी के हाथों में तख्तियां थी।
'कश्मीर में मासूमों का खून बहाना बंद करो।' पैलेट गन्स अंधा करने की मशीनें हैं। उनका इस्तेमाल बंद करो।"
इंडियन आर्मी कश्मीर में ज़ुल्म से तौबा करो।' ज़ारा मेरे आगे-आगे चल रही थी। यह प्रदर्शनकारियों के एक छोटे-से समूह के पास पहुची। वे उठे और उसे
हम किया। उसने मेरा उनसे परिचय कराया।
""अफसाना, जहीर और करीम, जारा ने कहा, 'मेरे दोस्त केशव से मिलो।'
मैंने उनसे हाथ मिलाया। हालांकि मैं कोई सांप्रदायिक या नस्लवादी इंसान नहीं है, फिर भी मैं इतना कहना चाहता हूँ कि यह मेरे लिए एक भिन्न परिस्थिति थी। मेरे शहर अलवर में हम दूसरे धर्मों के लोगों से घुलते- मिलते नहीं थे। मेरी मा तो शायद मुझे मुस्लिमों के बीच देखकर गश खाकर गिर जाती। मेरे पिता के दोस्त तो लगभग सभी के सभी आरएमएम से थे। इसलिए भी मेरा मुस्लिमों से ज्यादा वास्ता नहीं रहा था।
'रजा, सलीम, इस्माइल, जारा ने मुझे कुछ और प्रदर्शनकारियों से मिलवाया। मैंने मुस्कराते हुए सभी से
हाथ मिलाया। मैंने पाया कि मेरा नाम सुनकर वे थोड़ा चौक गए थे, या शायद मेरी ईयररिंग्स देखकर उनमें से एक ने मुझे कुछ लियां दीं। मैंने उसमें से सबसे सेफ वाली तख्ती चुन ली—घाटी में फिर से अमन-चैन कायम हो। मैंने बैनर पाम लिया और हम सभी नीचे बैठ गए। जारा ने मेरी तरफ देखा और मुस्करा दी।
क्या?' मैंने कहा 'यहां आने और मेरा साथ देने के लिए शुक्रिया।"
हां, यह सच है कि मैं उसका साथ दे रहा था। यह सब मैं केवल इसलिए कर रहा था ताकि उसके साथ रह सकूं। लेकिन क्या मैं इस प्रोटेस्ट को भी सपोर्ट कर रहा था? पता नहीं। वैसे यहां पर एग्जेक्टली हो क्या रहा है? मैंने कहा।